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विश्व रेडियो दिवस ऐसा अवसर है, जब हम रेडियो की ताकत और समाज में इसके योगदान को याद करते हैं। सामुदायिक रेडियो वह माध्यम है, जो किसी विशेष समुदाय की जरूरतों, भाषा और संस्कृति को ध्यान में रखते हुए काम करता है। यह समुदाय के लोगों को आवाज देने, विचारों का आदान-प्रदान और अहम मुद्दों पर चर्चा करने का मंच प्रदान करता है। अन्ना (एफएम) भारत का प्रथम परिसर ‘सामुदायिक’ रेडियो है, जो १ फ़रवरी २००४ को आरम्भ हुआ, जिसका संचालन एजुकेशन एंड मल्टीमीडिया रिसर्च सेंटर (ईएम्आरसी) करता है और सारे कार्यक्रमों का निर्माण अन्ना विश्वविद्यालय के मीडिया विज्ञान के विद्यार्थियों द्वारा किया जाता है।

वर्तमान में, देश में कुल 449 सामुदायिक रेडियो स्टेशन हैं, जिनमें से 70 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। सामुदायिक रेडियो स्टेशनों की स्थापना के लिए लगभग 100 संगठनों को अनुमति दी गई है। यह सामुदायिक सशक्तिकरण और उन्हें मुख्यधारा की विकास प्रक्रिया में लाने के लिए रुपांतरित करने हेतु सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

ऐसे ही कुछ खास सामुदायिक रेडियो स्टेशनों की जानकारी-

रेडिओ एफटीआईआई (महाराष्ट्र)

भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की कम्युनिटी रेडियो नीति के अनुसार 29 जनवरी, 2007 को लॉन्च किए गए रेडियो एफटीआइआइ का प्रयास पहुंच से परे लोगों तक पहुंच’ बनाना है। इसके कम से कम 50 फीसदी कार्यक्रम कम्युनिटी द्वारा ही तैयार किए जाते हैं। ‘समुदाय की सेवा में’ टैग लाइन पर खरा उतरने के लिए रेडियो एफटीआइआइ लगातार जमीनी स्तर के समुदायों को शामिल करने का प्रयास करता है। यह तपेदिक, जलवायु परिवर्तन, ऑटो रिक्शा चालकों की समस्याओं जैसे विषयों पर विभिन्न संगठनों के सहयोग से कई कार्यक्रम तैयार करता है। वर्तमान में यह जमीनी स्तर पर गणित को लोकप्रिय बनाने के लिए ‘रेडियो से गणित’ नाम के 180-एपिसोड के कार्यक्रम का भी निर्माण कर रहा है।

रेडिओ मानदेशी तरंग (महाराष्ट्र)

माणदेशी फाउंडेशन ने वर्ष 2008 में महिलाओं को सशक्त बनाने व संस्कृति और लोक कला को उजागर करने के लिए माणदेशी सामुदायिक रेडियो के लिए माणदेशी तरंग वाहिनी लॉन्च की। यह रेडियो किशोर लड़कियों में व्यक्तिगत स्वच्छता के बारे में जागरूकता पैदा करने से संबंधित कार्यक्रमों में नवाचार कर रहा है। इससे किशोरों व लड़कियों को हाइजीन से संबंधित जानकारियां उपलब्ध हो रही हैं। खेती के लिए पर्यावरण-अनुकूल पहल पर भी कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। यह रेडियो संस्कृति को संरक्षित करने और पानी, साक्षरता, जैविक खेती, स्वास्थ्य और सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने पर ध्यान केंद्रित करता है। 50 किलोमीटर के दायरे को कवर करते हुए यह रेडियो लगभग डेढ़ लाख श्रोताओं तक पहुंच बनाता है।

रेडियो बुंदेलखंड, मध्यप्रदेश

सामुदायिक रेडियो बुंदेलखंड, डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स की पहल है, जो बुंदेलखंड क्षेत्र के ताराग्राम ओरछा समुदाय को अपनी आवाज देता है। 23 अक्टूबर, 2008 को शुरू हुआ रेडियो बुंदेलखंड मध्य प्रदेश का पहला और भारत का दूसरा सामुदायिक रेडियो स्टेशन है। यह स्थानीय भाषा में जिला निवाड़ी और झांसी के चार ब्लॉक के 150 से ज्यादा गांवों की लगभग 2 लाख से अधिक की आबादी तक क्षेत्रीय भाषा में समस्याओं व रुचियों पर आधारित सूचना व मनोरंजन के कार्यक्रम प्रसारित कर समुदाय तक अपनी आवाज पहुंचाता है।

संगम रेडियो, तेलंगाना

३० नवम्बर २००८ तक, देश में ३८ क्रियाशील सामुदायिक रेडियो स्टेशन थे। इनमें से दो को गैर-सरकारी संगठन चलाते हैं और बाक़ी को शिक्षा संस्थान. एक गैर-सरकारी संगठन को मिले लाइसेंस (परिसर-आधारित रेडियो से भिन्न) से पहला समुदाय आधारित रेडियो स्टेशन १५ अक्टूबर २००८ को तब बाकायदा आरम्भ हुआ. हैदराबाद से 110 किलोमीटर की दूरी पर संगारेड्डी जिले के पास्तापुर गांव में लोगों को शाम को संगम रेडियो पर कार्यक्रम सुनने के लिए रेडियो सेटों से चिपके हुए देखा जा सकता है। इसकी खासियत यह है कि इसे सिर्फ महिलाओं द्वारा चलाया जाता है और महिलाओं की ही जरूरतों को पूरा किया जाता है। संगम रेडियो की शुरुआत डेक्कन डेवलपमेंट सोसायटी की मदद से महिला समुदाय द्वारा की गई थी। यह प्रोजेक्ट साल 1998 में शुरू हुआ था, लेकिन इसे 10 साल बाद लाइसेंस मिला। पहला कार्यक्रम 15 अक्टूबर, 2008 को प्रसारित हुआ। इसके दायरे में करीब 150 गांव शामिल हैं।

रेडियो वनस्थली, राजस्थान

रेडियो वनस्थली राजस्थान का पहला सामुदायिक रेडियो स्टेशन है, जिसका मूल उद्देश्य समुदाय के सदस्यों को कार्यक्रम के प्रसारण में शामिल कर रेडियो स्टेशन के सेवा क्षेत्र में समुदाय के हित की सेवा करना है। यहां शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, कृषि, ग्रामीण और सामुदायिक विकास से संबंधित मुद्दों पर प्रसारण किया जाता है। वनस्थली विश्वविद्यालय की छात्राएं रेडियो वनस्थली समुदाय का प्रमुख हिस्सा हैं। ये महकते मोती, रसोई की महक, प्रकाश पुंज, मुट्ठी भर धूप, तरूण स्पंदन, आहार विहार, गुंजन, संरक्षक फरमाइश, अनुपम, परवरिश, प्रेरणा, नमन जैसे विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेती हैं और समुदाय को सशक्त बनाती हैं। गांव के लोग संगीत रिकॉर्डिंग जैसे देवनारायणजी की कथा, मदन सिंहजी की कथा, गणगौर गीत, भजन आदि में भाग लेते हैं।

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