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अक्सर ऐसा होता है कि हम बस काम करते रहते हैं. कभी पढ़ाई, परीक्षा, घर का काम आदि। कभी-कभी हमारा काम सकारात्मक परिणाम देता है। (congratulate yourself)

कभी-कभी हमारी सराहना होती है, हमें तारीफ मिलती है, लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि हम जो काम करते हैं, उसके लिए हमें तारीफ नहीं मिलती। हम दूसरों को जो मदद देते हैं, जरूरी नहीं कि वह उन तक पहुंचे; लेकिन हमारे लिए ये बड़ी चीजें हैं. इसलिए आज हम खुद की तारीफ करना सीखेंगे।

खुद की तारीफ: सेल्फ एस्टीम की हो तो बासु चटर्जी की पुरानी फिल्म ‘छोटी सी बात’ का जिक्र प्रासंगिक हो उठता है। इस फिल्म में अमोल पालेकर ने एक ऐसे सीधे-सादे शर्मीले लड़के की भूमिका निभाई थी, जो अपनी कलीग से प्रेम करता है, पर आत्मविश्वास की कमी के कारण उससे अपने दिल की बात कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। ऐसे में उसे एक अवकाश प्राप्त आर्मी ऑफिसर (अशोक कुमार) के बारे में मालूम होता है, जो मुंबई शहर से दूर खंडाला में अकेले रहते हैं और लोगों को आत्मविश्वास बढ़ाने की ट्रेनिंग देते हैं। फिल्म का नायक बहुत मुश्किल से ढूंढते हुए उनके घर पहुंचता है तो मेन गेट पर ताला लगा होता है। फिर वह पीछे के ऊबड़-खाबड़ रास्ते से उनके घर के भीतर दाखिल होता है। उसके अंदर पहुंचते ही अशोक कुमार उसका स्वागत करते हुए कहते हैं, ‘आ जाओ, मैंने यहां तक पहुंचने का रास्ता जानबूझ कर इतना मुश्किल बनाया है, ताकि जिस व्यक्ति में सचमुच अपने भीतर बदलाव लाने की इच्छा हो, वही पहुंच पाए। अब तुम यहां तक आ ही गए हो तो तुम्हें कामयाबी जरूर मिलेगी।’

अब एक प्रयोग करते हैं. जब भी आपको लगे कि आपने कोई कार्य या कोई वादा या कोई कठिन काम पूरा कर लिया है, तो स्वयं को शाबाशी देना सुनिश्चित करें। जब आत्मविश्वास कमजोर पड़ने लगे तो ख़्ाुद को शाबाशी देना (congratulate yourself) भी अच्छा रहता है. कोई तुम्हें दे या न दे; क्योंकि हम जितनी आत्म-प्रशंसा करते हैं उसके कई फायदे होते हैं जो इस प्रकार हैं –

1. आपका आत्म-विश्वास: आत्म-विश्वास ही एकमात्र ऐसी चीज है जो आपको भविष्य में बेहतर करने की ताकत देती है।

2. खुद की तारीफ करने से प्रेरणा बढ़ती है.

3. कभी-कभी हम समय या अन्य संसाधनों द्वारा सीमित होते हैं, लेकिन उन स्थितियों में, जब हम एक कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करते हैं, तो यह हमें अगले कार्य में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करता है।

4. हम उस प्रेरणा का उपयोग अन्यत्र भी कर सकते हैं।

5. हम छोटी-छोटी सफलताओं के लिए स्वयं की प्रशंसा करते हैं, साथ ही हम बड़े कार्यों में सफल होने के लिए प्रेरित होते हैं।

याद रखें: सफलता कभी छोटी या बड़ी नहीं होती. खुद की तारीफ करने की कला आपको एक बेहद सकारात्मक इंसान बनाती है।

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