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तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित हम्पी मध्यकालीन हिन्दू राज्य विजयनगर साम्राज्य की राजधानी था। यह प्राचीन शानदार नगर अब खंडहरों के रूप में है। यहां के खंडहरों को देखने से सहज ही प्रतीत होता है कि किसी समय में हम्पी में एक समृद्धशाली सभ्यता निवास करती थी। कहा जाता है कि हम्पी को रामायणकाल में पम्पा और किष्किन्धा के नाम से जाना जाता था। हम्पी नाम हम्पादेवी के मंदिर के कारण पड़ा हम्पादेवी मंदिर ग्यारहवीं से तेरहवीं शताब्दी के बीच बनवाया गया था। हम्पी में विट्ठल स्वामी का मन्दिर सबसे ऊंचा है। यह विजयनगर के ऐश्वर्य और कलावैभव के चरमोत्कर्ष का द्योतक है। मंदिर के कल्याणमंडप की नक्काशी इतनी सूक्ष्म और सघन है कि यह देखते ही बनता है।

मंदिर का भीतरी भाग 55 फीट लम्बा है और इसके मध्य में ऊंची वेदिका बनी है। विट्ठल भगवान का रथ केवल एक ही पत्थर में से कटा हुआ है। मंदिर के निचले भाग में सर्वत्र नक्काशी की हुई है।हम्पी में विठाला मंदिर परिसर निःसंदेह सबसे शानदार स्मारकों में से एक है। इसके मुख्य हॉल में लगे ५६ स्तंभों को थपथपाने पर उनमें से संगीत लहरियाँ निकलती हैं। हॉल के पूर्वी हिस्से में प्रसिद्ध शिला-रथ है जो वास्तव में पत्थर के पहियों से चलता था। हम्पी में ऐसे अनेक आश्चर्य हैं, जैसे यहाँ के राजाओं को अनाज, सोने और रुपयों से तौला जाता था और उसे गरीब लोगों में बाँट दिया जाता था। रानियों के लिए बने स्नानागार मेहराबदार गलियारों, झरोखेदार छज्जों और कमल के आकार के फव्वारों से सुसज्जित होते थे।

इसके अलावा कमल महल और जनानखाना भी ऐसे आश्चयों में शामिल हैं। एक सुंदर दो-मंजिला स्थान जिसके मार्ग ज्यामितीय ढँग से बने हैं और धूप और हवा लेने के लिए किसी फूल की पत्तियों की तरह बने हैं। यहाँ हाथी-खाने के प्रवेश-द्वार और गुंबद मेहराबदार बने हुए हैं और शहर के शाही प्रवेश-द्वार पर हजारा राम मंदिर बना है।[2] तत्कालीन विजयनगर के शासकों ने मंत्रणा गृहों, सार्वजनिक स्थलों, सिंचाई के साधनों, देवालयों और प्रासादों के निर्माण में बहुत उत्साह दिखाया था।

हम्पी भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। इस नगर के दर्शनीय स्थलों में सम्मिलित हैं, विरूपाक्ष मन्दिर, रघुनाथ मन्दिर, नरसिम्हा मन्दिर, सुग्रीव गुफा, विठाला मन्दिर, कृष्ण मन्दिर, हजारा राम मन्दिर और कमल महल सहित अन्य कर्नाटक में स्थित हम्पी को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में वर्ष 1986 में शामिल किया गया।

भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित यह नगर यूनेस्को के विश्व के विरासत स्थलों में शामिल किया गया है। हर साल यहाँ हज़ारों की संख्या में पर्यटक और तीर्थयात्री आते हैं। हम्पी का विशाल फैलाव गोल चट्टानों के टीलों में विस्तृत है। घाटियों और टीलों के बीच पाँच सौ से भी अधिक स्मारक चिह्न हैं। इनमें मंदिर, महल, तहख़ाने, जल-खंडहर, पुराने बाज़ार, शाही मंडप, गढ़, चबूतरे, राजकोष…. आदि असंख्य इमारतें हैं।

हम्पी में ऐसे अनेक आश्चर्य हैं, जैसे यहाँ के राजाओं को अनाज, सोने और रुपयों से तौला जाता था और उसे गरीब लोगों में बाँट दिया जाता था। रानियों के लिए बने स्नानागार मेहराबदार गलियारों, झरोखेदार छज्जों और कमल के आकार के फव्वारों से सुसज्जित होते थे। इसके अलावा कमल महल और जनानखाना भी ऐसे आश्चयों में शामिल हैं। एक सुंदर दो-मंजिला स्थान जिसके मार्ग ज्यामितीय ढँग से बने हैं और धूप और हवा लेने के लिए किसी फूल की पत्तियों की तरह बने हैं। यहाँ हाथी-खाने के प्रवेश-द्वार और गुंबद मेहराबदार बने हुए हैं और शहर के शाही प्रवेश-द्वार पर हजारा राम मंदिर बना है।

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