मस्तिष्क ईश्वर द्वारा प्रदत्त एक अनुपम उपहार है, जिसे मानव ने प्राप्त किया है | मस्तिष्क मानव के शरीर का सबसे महत्त्वपूर्ण एवं रहस्यमय अंग भी है । बुद्धि एवं अनन्त जानकारियों को समेटे मस्तिष्क की कार्य प्रणाली आज भी वैज्ञानिकों की समझ से परे है, हालांकि इनके रहस्य को जानने के लिए वैज्ञानिक निरंतर प्रयत्नशील हैं तथा इसके लिए तरह-तरह के अनुसंधान भी हो रहे हैं । मानव के मस्तिष्क के रहस्यों को समझने के लिए प्रो. निक सोसेलिस ने तो मस्तिष्कों से सुसज्जित एक संग्रहालय की स्थापना ही कर दी । उस संग्रहालय का नाम ‘सोसेलिस संग्रहालय’ है |
सोसेलिस संग्रहालय में बारह हजार से अधिक मानव मस्तिष्कों को सुरक्षित रखा गया हे । सुरक्षा की दृष्टि से इस संग्रहालय को भूमिगत ( अन्डरग्राउन्ड) बनाया गया है । इस संग्रहालय में नर से अधिक मादाओं के मस्तिष्क को रसायनयुक्त जारों में बंद करके रखा गया है। माना जाता है कि पुरूष मस्तिष्क से कहीं अधिक जटिल संरचना मादा (स्त्रियां) के मस्तिष्क की होती है । यूं तो पूरे विश्व भर में तरह तरह के अनेक संग्रहालय स्थापित हैं । कहीं पुरातात्विक वस्तुओं का संग्रहालय है तो कहीं रेल के इंजनों का। वायुयान, अस्त्र-शस्त्र, बरतन, डाक टिकट तथा अन्य वस्तुओं के संग्रहालय भी हैं लेकिन ब्रिटेन के विकफोर्ड शहर में स्थापित मानव मस्तिष्कों का यह संग्रहालय सबसे अनोखा है। विकफोर्ड नगर मानव मस्तिष्क के अनोखे संग्रहालय के लिए अलग ही पहचान बन गया है।
इस संग्रहालय में वैज्ञानिकों द्वारा मस्तिष्क पर विभिन्न तरह के शोध किये गये हैं | एक शोध से यह निष्कर्ष निकाला है कि अल्जाइमर जो बुढ़ापे का रोग है, में मस्तिष्क सिकुड़ जाता है। इस रोग के कारण मस्तिष्क की बाहरी सतह लगभग अखरोट के समान हो जाती है। इसके साथ ही यह भी पाया गया है कि बिमारी के कारण मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं में काफी कमी आ जाती है।
इस संग्रहालय में मानव मस्तिष्क पर विभिन्न शोध हो रहे हैं। व्यवस्थापक के अनुसार मानव मस्तिष्क के सुसज्जित इस संग्रहालय में विश्व के अनेक वैज्ञानिक शोध कार्य कर रहे हैं। शोध की दृष्टि से यहां चालीस वर्षों से मानव मस्तिष्कों को कांच के बर्तनों में एवं फ्रिज अथवा स्लाइडों पर सुरक्षित रखा गया है। इस संग्रहालय की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां रखे गये मानव मस्तिष्कों में से अधिकांश मस्तिष्क रोगीयों द्वारा सीधे या फिर उनके रिश्तेदारों द्वारा दान में दिए गए हैं ताकि उनकी बीमारी के बारे में सही जानकारी प्राप्त हो सके ओर भविष्य में लोगों को इन बीमारियां से बचाया जा सके।
मानव मस्तिष्क के इस अनूठे संग्रहालय में 45 -40 वर्षों से मनुष्य की दिमागी बीमारी पर शोध कार्य चल रहा है। इसमें शीजोंफ्रेनिया तथा आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के व्यवहार पर एवं उनकी विभिन्नता पर शोध कार्य चल रहा है। इसके अलावा तंत्रिका और आनुवंशिकी गड़बड़ी का संबंध मस्तिष्क से क्या है, पर भी कार्य शोध किये जा रहे हैं।
इस संग्रहालय में एक अन्य शोध भी हुआ जिसमें 15 मुक्केबाजों के मस्तिष्क का अध्ययन किया गया | मुक्केबाजी से मस्तिष्क की होने वाली क्षति शोध का मुख्य विषय था| इसमें शोध के बाद यह निष्कर्ष निकला कि सिर पर लगने वाली चोट के कारण मस्तिष्क को होने वाले नुक्सान का क्रम एक निश्चित तरीके का ही होता है। इस शोध के बाद ही अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मुक्केबाजी के नियमों में व्यापक परिवर्तन लाया गया | भविष्य में इसका प्रभाव यह हुआ कि मुक्केबाजी के दौरान मस्तिष्क में लगी चोट से खिलाड़ियों की मौत में कमी आइ।
डॉ. सी बर्तन नामक एक वैज्ञानिक ने दस वर्षों तक शोध कार्य करने के बाद महिला मस्तिष्क से संबंधित एक चौंकाने वाली रिपोर्ट को उजागर किया है। डॉ. बर्त्तन के अनुसार महिलाओं में सेक्स की कमी या अधिकता का कारण मस्तिष्क ही होता है। मस्तिष्क के मध्य भाग में पच्चीस छोटे छोटे बल्बनुमा यंत्र होते हैं जिनका संबंध स्तनों से होता है। स्तनों पर पड़ने वाले दबावों के फलस्वरूप मस्तिष्क के ये यंत्र प्रकाशित होते हैं ओर सेक्स हार्मोनों का रिसाव करते हैं। डॉ. बर्टान के अनुसार जिन महिलाओं के स्तन छोटे होते हैं, उनके दबाव के कारण सभी बल्ब कार्यशील हो जाते हें किंतु जिनके स्तन काफी मोटे होते हैं, उन पर दबाव के फलस्वरूप दस बारह बल्ब ही प्रकाशित होते हैं। इससे मस्तिष्क की क्रियाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और वही कुप्रभाव हिस्टीरिया या मिरगी जैसे रोगों को पैदा कर देते हैं। मस्तिष्क के इस संग्रहालय में हिजड़ों के मस्तिष्क भी रखे हुए हैं। उन मस्तिष्कों पर विशेष निशान लगाया गया हैं। उस पर शोध करने वाले वैज्ञानिक इस विषय पर शोध कर रहे हैं कि मस्तिष्क की किस क्रिया के फलस्वरूप पुरूष या स्त्री नपुंसक या बांझ रह जाते हैं। इस संस्थान द्वारा वैज्ञानिकों या अन्य शोध संस्थानों के वैसे लोगों को जो शोध कार्य करना चाहते हैं, को जानकारी उपलब्ध कराने की भी व्यवस्था है। जानकारी उपलब्ध कराने के लिए अन्तर्राष्टीय कंप्यूटर प्रणाली की भी सुविधा दी जाती है। इसके अलावा मस्तिष्कों के उत्तकों को भी पतली कांच की स्लाइड में रखकर इस संग्रहालय को विकफोर्ड नगर में स्थित कार्यालय में भेजा जा सकता है।
ब्रेन संग्रहालय भी बैंगलोर, भारत में है
आपने कभी इंसान के दिमाग को सच में देखा है? या इसे कभी छुआ है? शायद कभी नहीं, तो चलिए आज इस खास दिन पर ऐसा मौका हाथ से मत जाने दीजिए। बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज के ग्राउंड फ्लोर पर ह्यूमन ब्रेन म्यूजियम है। यहां आप इंसान का दिमाग, रीढ़ की हड्डी और अन्य पैरेन्काइमल अंगों को देख सकते हैं, साथ में छू भी सकते हैं। तंत्रिका जीव विज्ञान (Neurobiology) को प्रोत्साहित करने के लिए, ये जगह शनिवार को सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच लोगों के लिए खोली जाती है।
भारत के पहले मस्तिष्क संग्रहालय की यात्रा आपके साहस की परीक्षा ले लेगी। यह एक संग्रहालय है जिसमें इंसानों और जानवरों के दिमागों को प्रदर्शित किया गया है! नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (NIMHANS) के अंदर स्थित, चिकित्सा विज्ञान को समर्पित यह विशाल संग्रहालय आम आदमी को उन दिमागों की एक झलक पाने और यहां तक कि उन्हें पकड़ने की अनुमति देता है। यह संग्रहालय लोगों को मस्तिष्क की शारीरिक रचना को करीब से देखने में सक्षम बनाने की एक अनूठी पहल है।
यह अनोखा संग्रहालय न्यूरोपैथोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉक्टर एसके शंकर के दिमाग की उपज है, जो मस्तिष्क दान की सुविधा के 30 वर्षों के बाद वास्तविकता में बदल गया। मरीजों का शव परीक्षण करते समय, अनुसंधान के लिए उनके मस्तिष्क के कुछ हिस्सों को लेने की अनुमति मांगी गई थी। इस प्रक्रिया के दौरान प्रोफेसर शंकर और उनकी टीम को दिलचस्प खुलासे मिले जो अन्यथा एमआरआई स्कैन के माध्यम से दिखाई नहीं देते थे।-आनन्द कुमार अनन्त