बदलते समय में ब्रह्ममुहूर्त में से अब केवल ‘मुहूर्त’ रह गया है, और ‘ब्रह्म’ कहीं खो गया है
आधुनिक समाज और ब्रह्ममुहूर्त का कम होता महत्त्व आजकल लोगों के लिए वही समय मायने रखता है जब वे आठ-नौ बजे तक बेफिक्र होकर उठते हैं। बाकी समय वे सांसारिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं। इसलिए, नई पीढ़ी ने ब्रह्ममुहूर्त को एक नया रूप दे […]
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