ईसप, एक रचनात्मक कहानीकार, मध्य पूर्व में ग्रीस में रहता था। उनकी पुस्तक ‘ईसापनीति’ प्रसिद्ध है। ये कहानियाँ सिर्फ बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि बड़ों के लिए भी सीख देती हैं । यह इसापानीथी की कहानी है जो समाज को शिक्षा देती है।
एक तालाब में कुछ मेंढक रहते थे। इस तालाब के चारों ओर विशाल घास का मैदान था। एक दिन इस खेत में दो बैल चरने आये। उस तालाब में एक बुद्धिमान मेंढक रहता था। उसने अपने साथियों को बुलाया और कहा, “यह सही नहीं है कि बाजू के खेत में दो मोटे बैल चर रहे हैं।” शाम को, मेंढकों की एक बैठक हुई। कई मेंढकों ने बैलों को देखा। एक मेंढक ने कहा, “हमें इसकी फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं है, मेंढक घास नहीं खाते और मेंढक वहाँ जाते भी नहीं , इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है।”
इस पर बुद्धिमान मेंढक ने कहा, ‘वे मस्तवाल बैल हैं। दूसरे मेंढक ने कहा, “हम खेत में नहीं जाते और बैल तालाब में नहीं आते, बैल चाहे कैसे भी हों, इसकी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।”
जब सभी ने उसकी बात का खंडन किया तो बुद्धिमान मेंढक ने कहा, “तुम्हारा अंत निकट आया है।”
सभा ख़त्म हुई, दो-चार दिन बाद मेंढ़कों ने देखा कि जिन बैलों को उन्होंने देखा था वे आपस में लड़ रहे थे। सभी मेंढक उन्हें चिढ़ाने लगे और कहने लगे, ”यहाँ इतनी घास होते हुए भी ये मूर्ख आपस में लड़ रहें हैं।” तब बुद्धिमान मेंढक बोला, ”सवाल घास का नहीं, बल्कि अहंकार का है, कि यहां कोई और चर रहा है।’ ये उन्हें पसंद नहीं आ रहा है। हम सब मारे जायेंगे।”
इसे अन्य मेंढकों ने नजरअंदाज कर दिया और कुछ ही समय में बैल उग्र रूप से लड़ाई करते हुए तालाब के पास पहुंच गए । तालाब में उतरे और उनकी लड़ाई में सैकड़ों मेंढक मर गये। जीवित और बचे हुए बुद्धिमान मेंढक ने दूसरों से कहा, “हमें अपने पड़ोस में होने वाली हर घटना पर बारीकी से ध्यान देना चाहिए, जब पड़ोस में दो शक्तिशाली आपस में लड़ रहे हों, तो गरीबों का मरना तय है, चाहे वे संबंधित हों या ना हों।” -मच्छिंद्र ऐनापुरे, जत जिला सांगली (महाराष्ट्र) Children’s story”