बाघ (Tiger) संरक्षण का इतिहास और वर्तमान स्थिति
एक समय था जब भारत में घटती बाघों (Tiger) की संख्या एक गंभीर चिंता का विषय थी। रूस, कंबोडिया, चीन, नेपाल, बांग्लादेश, इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देश भी इसी तरह की चिंता का सामना कर रहे थे। 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में भारत सहित 13 टाइगर (Tiger) रेंज कंट्रीज (TRCs) के शिखर सम्मेलन में यह संकल्प लिया गया कि 2022 तक वैश्विक बाघों की संख्या को दोगुना किया जाएगा। बाघों के संरक्षण और उनकी संख्या बढ़ाने में भारत का अन्य देशों की तुलना में आगे होना गर्व की बात है। सेंट पीटर्सबर्ग सम्मेलन के समय भारत में 1,706 बाघ थे।
बाघों (Tiger) की संख्या में राज्यों के प्रदर्शन
देशभर के बाघ अभयारण्यों में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है, और महाराष्ट्र समेत अन्य प्रमुख राज्यों ने इस क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है। महाराष्ट्र में कुल 444 बाघ हैं, जबकि पूरे देश में बाघों की संख्या 3,682 तक पहुंच गई है। इनमें मध्य प्रदेश 785 बाघों के साथ पहले स्थान पर है, जबकि कर्नाटक 563 बाघों के साथ दूसरे स्थान पर है। उत्तराखंड में 560 और महाराष्ट्र में 444 बाघ (Tiger) हैं।
लोकसभा में शिवसेना के सांसद धैर्यशील माने के सवाल के जवाब में केंद्रीय वन एवं राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने बताया कि देश में बाघों की संख्या प्रति वर्ष लगभग 6% की दर से बढ़ रही है। 2006 में देश में केवल 1,411 बाघ थे, लेकिन 2022 तक यह संख्या 3,682 तक पहुंच गई है।
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राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) और वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) की रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष विश्व बाघ दिवस (29 जुलाई) पर जारी आंकड़ों में यह स्पष्ट हुआ कि देश में अब 3,682 बाघ (Tiger) हैं। इसका अर्थ है कि हमने सेंट पीटर्सबर्ग सम्मेलन के लक्ष्य को पार कर लिया है। यह रिपोर्ट उत्साहजनक है। विश्व के 75% बाघ भारत में हैं, यह भी गर्व की बात है। बाघों के संरक्षण के लिए चलाए गए लक्षित कार्यक्रमों का यह सकारात्मक परिणाम है।
हालांकि, बाघों की बढ़ती संख्या के साथ ही उनकी मौतों का आंकड़ा भी बढ़ रहा है, जिसे गंभीरता से देखने की आवश्यकता है। वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अनुसार, इस वर्ष जनवरी से जुलाई तक लगभग 112 बाघों (Tiger) की मौत हो चुकी है। 2012 से जुलाई 2022 तक, मध्य प्रदेश में 270, महाराष्ट्र में 184, कर्नाटक में 150 और उत्तराखंड में 98 बाघों की मौत हुई है।
महाराष्ट्र में, 2018 में 19 बाघों की मौत हुई, जिसमें से 3 शिकार और विषाक्तता के कारण हुई। 2019 में 17, 2020 में 18, 2021 में 32, और 2022 में 29 बाघों की मौत दर्ज की गई। इनमें से कुछ मामले शिकार और साजिश से संबंधित हैं।
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बाघों की मौत: आंकड़े और कारण
मेळघाट और ताडोबा-अंधारी बाघ अभयारण्यों के अलावा चंद्रपुर और गढ़चिरौली वन विभाग की संयुक्त कार्रवाई में शिकारियों के कुख्यात बावरिया गिरोह के 16 लोगों को पकड़ा गया है। जून 28 को असम में गुवाहाटी में वन और पुलिस विभाग की संयुक्त कार्रवाई में 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनके पास से बाघ (Tiger) की खाल और हड्डियां बरामद की गईं।
बाघ (Tiger) संरक्षण के प्रयासों के बावजूद, बाघों के आवास क्षेत्र में अंधाधुंध वनों की कटाई, मानव बस्तियों का विस्तार, और संरक्षित क्षेत्र के बाहर रहने वाले बाघों की संख्या बढ़ने से संघर्ष की घटनाएं बढ़ी हैं। इसके अलावा, शिकार और तस्करी भी बाघों के लिए बड़ा खतरा है।
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सेंट पीटर्सबर्ग सम्मेलन के लक्ष्य को प्राप्त करने के बावजूद, बाघों के प्रभावी संरक्षण के लिए अभयारण्यों का सुचारू प्रबंधन और संरक्षित क्षेत्रों में मानव हस्तक्षेप को नियंत्रित करने की आवश्यकता है। बाघ परियोजना की सर्वोच्च प्राथमिकता पारिस्थितिकी के संतुलन के लिए बाघों (Tiger) की संख्या को बनाए रखना और शिकारियों पर सख्त कार्रवाई करना होनी चाहिए।
-मच्छिंद्र ऐनापुरे, जत जि. सांगली