‘गुड़मार’ है, जिसमें पाए जाने वाले जिम्नेमिक एसिड में रक्त शर्करा को घटाने की अनोखी क्षमता
भारतीय शोधकर्ताओं ने बताया है कि मधुमेह पर नियंत्रण में औषधीय पौधे असरदार हो सकते हैं। एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने बिहार के गया स्थित ब्रह्मयोनी पहाड़ी पर पाए जाने वाले औषधीय पौधों की क्षमताओं को उजागर किया है। इन्हीं पौधों में से एक का उपयोग सीएसआईआर ने अपनी महत्वपूर्ण दवा वीजीआर-34 में किया है, जो वर्तमान में दोहरी क्षमताओं के साथ काम कर रही है। यह औषधीय पौधा ‘गुड़मार’ है, जिसमें पाए जाने वाले जिम्नेमिक एसिड में रक्त शर्करा को घटाने की अनोखी क्षमता होती है।
मधुमेह रोगियों के लिए यह रामबाण साबित हो सकता है
जिम्नेमिक एसिड की खासियत यह है कि यह आंत की बाहरी परत में रिसेप्टर के स्थान को भर देता है, जिससे मिठास की लालसा कम हो जाती है। इसका परिणाम यह होता है कि आंत चीनी के अणुओं का अवशोषण कम करती है, जिससे रक्त में शर्करा की मात्रा घट जाती है। मधुमेह रोगियों के लिए यह रामबाण साबित हो सकता है। इसी तरह, गुड़मार में फ्लेवोनोइड्स और सैपोनिन भी मौजूद होते हैं, जो लिपिड के मेटाबॉलिज्म (उपापचय) को नियंत्रित करते हैं। फ्लेवोनोइड्स में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जबकि सैपोनिन कोलेस्ट्रॉल को कम करता है।
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इंटरनेशनल जर्नल ऑफ क्रिएटिव रिसर्च थॉट्स (आईजेसीआरटी) में बिहार के मगध विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने इस अध्ययन में बताया कि ब्रह्मयोनी पहाड़ी पर पाए जाने वाले तीन औषधीय पौधों में से एक गुड़मार (जिम्नेमा सिल्वेस्ट्रे) है। यह वही क्षेत्र है जहां सदियों से परंपरागत वैद्य इन पौधों का मधुमेह समेत विभिन्न रोगों के उपचार में इस्तेमाल कर रहे हैं।
वीजीआर-34 रक्त शर्करा के साथ मोटापा कम करने में भी प्रभावी
सीएसआईआर ने अपनी मधुमेह रोधी दवा वीजीआर-34 में गुड़मार को मिलाया है और एमिल फार्मा के जरिए बाजार में लाई गई यह दवा सफल भी रही है। गुड़मार में कुछ ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो वीजीआर-34 को मधुमेह के साथ-साथ लिपिड प्रोफाइल को भी नियंत्रित करने में सक्षम बनाते हैं। साल 2022 में नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने एक अध्ययन में पुष्टि की है कि वीजीआर-34 रक्त शर्करा के साथ मोटापा कम करने में भी प्रभावी है।
गुड़मार पर और अधिक गहन शोध किए जाने चाहिए
यह दवा शरीर के उपापचय (मेटाबॉलिज्म) तंत्र में भी सुधार करती है। एमिल फार्मा के कार्यकारी निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने बताया कि वीजीआर-34 में गुड़मार के साथ दारुहरिद्रा, गिलोय, विजयसार, मजीठ, और मैथिका जैसी औषधियां भी शामिल हैं। यह न केवल मधुमेह, लिपिड प्रोफाइल और मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करती है बल्कि एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा भी बढ़ाती है।
शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया है कि जैसे मेटफॉर्मिन, जो मधुमेह की पहली दवा थी, एक औषधीय पौधे गैलेगा से बनी थी, वैसे ही गुड़मार पर भी और अधिक गहन शोध किए जाने चाहिए ताकि नई पीढ़ी को एक और प्रभावी चिकित्सा विकल्प उपलब्ध हो सके।
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■ शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में बिहार के गया स्थित ब्रह्मयोनी पहाड़ी पर मौजूद औषधीय पौधों की क्षमताओं को उजागर किया।
■ यह औषधीय पौधा गुड़मार है, जिसमें पाए जाने वाले जिम्नेमिक एसिड में रक्त शर्करा को घटाने की अनोखी क्षमता है।
■ जिम्नेमिक एसिड की खूबी यह है कि यह आंत की बाहरी परत में रिसेप्टर के स्थान को भर देता है, जिससे मिठास की लालसा रुक जाती है।