नेताजी भवन: पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की भूमिका अद्वितीय थी। उनके जीवन और स्वतंत्रता संघर्ष की गवाही देता है कोलकाता स्थित उनका पैतृक निवास, जिसे आज नेताजी भवन के रूप में जाना जाता है। कोलकाता के लाजपत राय सारणी (पहले एल्गिन रोड) पर स्थित यह भवन, एक ऐतिहासिक धरोहर स्थल है और देशभर से आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। नेताजी से जुड़ी यादों को सहेजने के लिए इस भवन का सुंदर तरीके से पुनर्निर्माण किया गया है।
नेताजी भवन आने वाले पर्यटकों को सुभाष चंद्र बोस के संघर्षपूर्ण जीवन को करीब से जानने का अवसर मिलता है। उनके स्वतंत्रता आंदोलन में दिए गए अद्वितीय योगदान के कारण, वे देशवासियों के दिलों में सम्मानित स्थान रखते हैं। उनकी रहस्यमयी गुमशुदगी ने भारतीयों के मन में आज भी कई सवाल खड़े कर रखे हैं। इन सभी कारणों से यह भवन कोलकाता आने वाले पर्यटकों के बीच एक महत्वपूर्ण आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
ऐतिहासिक साक्ष्य
इस पैतृक मकान का निर्माण 1909 में नेताजी के पिता जानकीनाथ बोस ने करवाया था। सुभाष चंद्र बोस का बचपन इसी भवन में बीता था और स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान यह मकान आजादी के दीवानों की क्रांति गतिविधियों का केंद्र बन गया था। सुभाष चंद्र बोस भी उस समय इसी भवन में रहते थे। इस भवन को 23 जनवरी 1947 को नेताजी के पारिवारिक सदस्य शरतचंद्र बोस ने देश की सेवा में समर्पित कर दिया था, तब से यह कोलकाता में पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
भवन का ऐतिहासिक महत्व
सुभाष चंद्र बोस को अंग्रेजों ने इसी भवन में नजरबंद किया था और वे यहीं से 1941 में चुपके से फरार होकर बर्लिन (जर्मनी) पहुंचे थे। वहां से वे सबमरीन द्वारा दक्षिणपूर्व एशिया के उन क्षेत्रों में भी पहुंचे जहां जापान का कब्जा था, और वहीं उन्होंने ‘इंडियन नेशनल आर्मी’ (आईएनए) का गठन किया। फिर ‘इंपीरियल जैपनीज आर्मी’ के साथ मिलकर ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ युद्ध की घोषणा की। सुभाष चंद्र बोस द्वारा फरार होने के लिए उपयोग की गई सीढ़ी और कार भी नेताजी भवन में सुरक्षित रखी गई है।
सुभाष चंद्र बोस के स्टडी रूम और बेडरूम को मूल रूप में ही संजोकर रखा गया है। इस ऐतिहासिक महत्व के कारण नेताजी भवन कोलकाता आने वाले हर पर्यटक की यात्रा सूची में शामिल होता है।
नेताजी म्यूजियम और रिसर्च ब्यूरो
नेताजी भवन में ‘नेताजी रिसर्च ब्यूरो’ का केंद्र भी स्थित है, जो सुभाष चंद्र बोस के जीवन और इतिहास को जानने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। 1961 में इस भवन के अंदर ‘नेताजी म्यूजियम’ की स्थापना की गई थी। यह एक ‘बायोग्राफिकल म्यूजियम’ है, जिसमें सुभाष चंद्र बोस के जीवन से जुड़ी दुनिया भर से एकत्रित की गई वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं। म्यूजियम के अलावा, यहां एक उत्कृष्ट पुस्तकालय भी है, जिससे आज की पीढ़ी को सुभाष चंद्र बोस के विराट व्यक्तित्व और स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान को जानने का मौका मिलता है।
भवन की अन्य विशेषताएं
नेताजी भवन पारंपरिक बंगाली घर की तरह बनाया गया है, जिसमें स्तंभ और पोर्टिको शामिल हैं। मुख्य पोर्टिको पर एक स्मृति चिन्ह लगा हुआ है, जिसमें ‘इत्तेफाक’, ‘एतमाद’, और ‘कुर्बानी’ शब्द लिखे हुए हैं, जो सुभाष चंद्र बोस की विचारधारा के मूलमंत्र थे। सुभाष चंद्र बोस का बेडरूम पहले फ्लोर पर है, जहां उनकी व्यक्तिगत चीजें तरतीब से प्रदर्शित की गई हैं। भवन के टॉप फ्लोर पर उनके जीवन से जुड़े दस्तावेज, फोटोग्राफ और लेख क्रमबद्ध तरीके से प्रदर्शित किए गए हैं। इन पत्रों और तस्वीरों में उनकी जीवन-यात्रा को उनके बचपन से लेकर स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न पहलुओं तक दर्शाया गया है।
इसके अलावा, आजाद हिंद फौज के संघर्ष को प्रदर्शित करने के लिए एक विशेष गैलरी भी है, जिसमें इससे संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज भी प्रदर्शित किए गए हैं। भवन में ‘शरत बोस ऑडिटोरियम’ भी है, जिसमें लगभग 115 दर्शक बैठ सकते हैं।