श्रावण पूर्णिमा
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श्रावण पूर्णिमा का महत्व भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीके से मनाए जाने वाले त्यौहारों में देखा जा सकता है। देशभर में रक्षाबंधन के रूप में प्रचलित यह पर्व, हर क्षेत्र में अपनी खास सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर के साथ जुड़ा हुआ है। राखी का यह त्योहार केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूती ही नहीं देता, बल्कि भारतीय संस्कृति के विविध रंगों को भी प्रस्तुत करता है। आइए, इस दिन को विभिन्न राज्यों में किस प्रकार मनाया जाता है, इस पर एक नजर डालते हैं।

श्रावण पूर्णिमा

जम्मू-कश्मीर में पतंगबाजी

जम्मू-कश्मीर, जिसे “धरती का स्वर्ग” कहा जाता है, में रक्षाबंधन का त्योहार अन्य राज्यों से कुछ अलग रूप में मनाया जाता है। यहां राखी बांधने के साथ-साथ पतंगबाजी का भी खास महत्व है। जैसे राजस्थान में मकर संक्रांति पर और दिल्ली में 15 अगस्त को पतंगबाजी की धूम रहती है, वैसे ही जम्मू-कश्मीर में श्रावण पूर्णिमा पर पतंगबाजी की जाती है। इस उत्सव का माहौल इतना जीवंत होता है कि पूरा आकाश रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है। यह परंपरा केवल त्योहार के दिन ही नहीं बल्कि पूरे महीने चलती है, जिससे लोगों का उत्साह और आनंद द्विगुणित हो जाता है।

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श्रावण पूर्णिमा

महाराष्ट्र में नारेली पूर्णिमा

महाराष्ट्र के समुद्र तटीय क्षेत्रों में श्रावण पूर्णिमा का दिन नारेली पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन मछुआरे समुद्र देवता की पूजा करते हैं और नारियल को समुद्र में अर्पित करते हैं। यह समुद्र से आशीर्वाद प्राप्त करने और उसकी कृपा से अपने जीवन की समृद्धि की कामना करने का अवसर होता है। इस दिन घरों में विशेष तौर पर नारियल से बने व्यंजन, जैसे नारियल की चक्की, नारियल के लड्डू और गुड़ नारियल का हलवा बनाया जाता है। धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ रक्षाबंधन का त्योहार भी यहां परंपरागत उत्साह के साथ मनाया जाता है।

श्रावण पूर्णिमा

केरल और तमिलनाडु में अवनी अवित्तम

दक्षिण भारत के केरल और तमिलनाडु राज्यों में श्रावण पूर्णिमा का दिन अवनी अवित्तम के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पुरुष जनेऊ बदलने की प्रक्रिया को पूरी करते हैं, जिसे धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। अवनी अवित्तम पर पुरुष स्नान करते हैं, अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं और नया जनेऊ धारण करते हैं। यह दिन यजुर्वेद के पाठ के लिए भी विशेष माना जाता है, और पारंपरिक पाठशालाओं में वेद सीखने वाले छात्रों के लिए यह दिन खास महत्व रखता है, क्योंकि इसी दिन से वेद पाठ की शुरुआत होती है।

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मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कजरी पूर्णिमा

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में कजरी पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन किसान और माताएं अपने परिवार के कल्याण और फसलों की समृद्धि की कामना करते हुए विशेष अनुष्ठान करते हैं। इस दिन को किसानों और माताओं का उत्सव भी कहा जा सकता है। यहां की महिलाएं खेतों से मिट्टी लेकर घर में जौ बोती हैं, और इसे पूरे 7 दिनों तक देखभाल करती हैं। इसके बाद वे इसे किसी नदी, तालाब या कुएं में विसर्जित कर अपने पुत्रों की लंबी उम्र और फसलों की अच्छी पैदावार की कामना करती हैं।

गुजरात में पवित्रोपणा

गुजरात में श्रावण पूर्णिमा का दिन पवित्रोपणा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। पवित्रोपणा अनुष्ठान के दौरान पवित्र सूत और कास घास को शिवलिंग पर लपेटा जाता है। इसे पंचगव्य में भिगोकर शिवलिंग पर अर्पित किया जाता है, जो शिव की पूजा का समापन माना जाता है। इस दिन भक्तजन बड़ी श्रद्धा के साथ शिवलिंग की पूजा करते हैं और पवित्रोपणा अनुष्ठान में भाग लेते हैं।

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पश्चिम बंगाल और ओडिशा में झूलन पूर्णिमा

पश्चिम बंगाल और ओडिशा में श्रावण पूर्णिमा का दिन झूलन पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी की पूजा-अर्चना की जाती है। मंदिरों में भगवान की झांकी सजाई जाती है और झूलों पर बिठाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बांधने के साथ-साथ भगवान राम और सीता की पूजा भी करती हैं।

श्रावण पूर्णिमा

उत्तराखंड में श्रावणी पूर्णिमा

उत्तराखंड में श्रावण पूर्णिमा का विशेष महत्व है। विशेष रूप से कुमाऊं क्षेत्र में इस दिन पुरुष जनेऊ बदलते हैं। इस अवसर पर चंपावत में एक विशेष मेला भी लगता है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों ही दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। इस दिन पूजा-पाठ के साथ-साथ रक्षाबंधन भी उसी उत्साह के साथ मनाया जाता है, जैसे शेष उत्तर भारतीय राज्यों में मनाया जाता है।

इन विभिन्न राज्यों में श्रावण पूर्णिमा के अवसर पर मनाए जाने वाले ये त्यौहार, भारतीय संस्कृति की विविधता को दर्शाते हैं। हर क्षेत्र की अपनी परंपराएं और मान्यताएं हैं, जो इस दिन को विशेष और अनूठा बनाती हैं।

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