अध्यापक
0 1 min 3 mths

सुरेंद्र शर्मा मेरे प्रिय अध्यापक

[ रूपरेखा : (1) प्रस्तावना (2) व्यक्तित्व (3) आज के अध्यापकों से तुलना (4) ज्ञानभंडार और पढ़ाने का ढंग (5) खेल-कूद आदि में दिलचस्पी (6) स्नेहपूर्ण व्यवहार (7) आदर्श जीवन। ]

अपने छात्र जीवन में मुझे अनेक अध्यापकों से स्नेह तथा मार्गदर्शन मिला है, लेकिन इन सबमें सुरेंद्र शर्मा मेरे प्रिय अध्यापक रहे हैं। शर्मा जी का कद लंबा और रंग गोरा है। उनकी आँखें चमकीली हैं। उनकी आवाज गंभीर, स्पष्ट और प्रभावशाली है। उनका शरीर फुर्तीला और स्वस्थ है। वे हमेशा तेज़ चाल से चलते हैं। वे प्रायः सफेद धोती-कुर्ता अथवा सफारी सूट पहनते हैं।

 अध्यापक

आज के कई अध्यापक अपने पद को केवल अर्थ प्राप्ति का साधन मानते हैं और विद्यार्थियों के सामने किताबों के पन्ने पलट देने को ही पढ़ाना समझते हैं। मानो सच्चे ज्ञान-दान और चरित्र-निर्माण से उन्हें कोई मतलब ही न हो! लेकिन शर्मा जी अध्यापक-पद के गौरव और उसकी जिम्मेदारी को भली-भाँति समझते हैं और अपने कर्तव्यों का पूर्ण रूप से निर्वाह करते हैं।

ये भी पढ़े: Sawan 2024 : भगवान शिव को 12 महीनों में से सिर्फ सावन का महीना ही क्यों पसंद है? जानें आखिर शिव और सावन का कनेक्शन क्या है?

हिंदी भाषा पर उनका पूर्ण अधिकार

शर्मा जी विद्वान व्यक्ति हैं। उनका ज्ञानभंडार अथाह है। विज्ञान, गणित और समाजशास्त्र में भी उनकी रुचि कम नहीं है। अँग्रेजी व्याकरण वे इस प्रकार समझाते हैं कि सारी बातें कक्षा में ही कंठस्थ हो जाती हैं। हिंदी भाषा पर उनका पूर्ण अधिकार है। कोई भी विद्यार्थी अपनी शंका, बिना किसी भय और हिचकिचाहट के उनके सामने रख सकता है और उसका उचित समाधान प्राप्त कर सकता है।

मेरा प्रिय अध्यापक

अध्यापक की खेल-कूद में भी बहुत रुचि

शर्मा जी खेल-कूद में भी बहुत रुचि लेते हैं। वे विद्यार्थियों के साथ खेल में भाग लेते हैं। नाटक, चर्चा-गोष्ठी, चित्र-प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता आदि में वे विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हैं और उन्हें समय-समय पर विविध क्षेत्रों में प्रगति करने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं। हमारे विद्यालय का ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं, जिसमें शर्मा जी का योगदान न हो।

ये भी पढ़े: Bollywood : जूनियर एनटीआर ‘वॉर 2’ में विलेन होंगे: ऋतिक रोशन के साथ नजर आएंगे; और अधिक जाने जूनियर एनटीआर के बारे में…

पढ़ाई में कमजोर छात्रों पर अध्यापक की ममतामयी दृष्टि

शर्मा जी विद्यालय को एक परिवार मानते हैं। सभी विद्यार्थियों को उनका प्यार मिलता है। उन्हें क्रुद्ध होते कभी किसी ने नहीं देखा, फिर भी अनुशासन के वे बहुत समर्थक हैं। पढ़ाई में कमजोर छात्रों पर उनकी ममतामयी दृष्टि रहती है। परीक्षा में अनुत्तीर्ण छात्रों को वे स्नेह से ढाढ़स बँधाते हैं।

मेरा प्रिय अध्यापक

झूठ, लोभ, रिश्वत, ईर्ष्या आदि बुराइयों से कोसों दूर

शर्मा जी निरभिमानी हैं। घमंड तो उन्हें छू तक नहीं गया है। उनके चेहरे से सदा प्रसन्नता और आत्मीयता झलकती है। उनके रहन-सहन और वेशभूषा से सादगी प्रकट होती है। झूठ, लोभ, रिश्वत, ईर्ष्या आदि बुराइयों से तो वे कोसों दूर हैं। यदि ऐसे शर्मा जी मेरे प्रिय अध्यापक हों, तो इसमें आश्चर्य ही क्या !

ये भी पढ़े:surprising : पूरी दुनिया के लिए एक सवाल : जापानियों की लंबी आयु और दीर्घायु का रहस्य क्या है? वे 10 से 15 किमी की यात्रा के लिए चलाते हैं साइकिल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

जन्मदिन अस्पताल हत्या के बाद शव नींद सूर्यसेन शिक्षकों भोजन