प्रवीण के
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प्रवीण के: सौर ऊर्जा कंपनी के मालिक बनने तक का  सफर

हर इंसान के भीतर कुछ कर दिखाने की क्षमता होती है। यह केवल परिस्थितियों को कैसे पार करना है और अवसरों का सही तरीके से उपयोग करना है, इस पर निर्भर करता है। प्रवीण के की कहानी ऐसी ही प्रेरणा का एक आदर्श उदाहरण है। कर्नाटक के एक छोटे से गाँव में छह रुपये की मजदूरी से शुरुआत कर, आज 100 करोड़ रुपये से अधिक की सौर ऊर्जा कंपनी के मालिक बनने तक का उनका सफर सभी के लिए प्रेरणादायक है।

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प्रारंभिक जीवन और संघर्ष

प्रवीण का जन्म कर्नाटक के दावणगेरे शहर के देवारा होन्नली गाँव में हुआ। एक किसान परिवार में जन्मे प्रवीण के जीवन में सुविधाओं का अभाव था। उनके माता-पिता खेतों में मजदूरी करते थे और प्रवीण भी बचपन में उनकी मदद करते थे। उस समय प्रवीण को रोज़ाना केवल छह रुपये की मजदूरी मिलती थी। गाँव में शिक्षा की भी समुचित व्यवस्था नहीं थी। लेकिन, प्रवीण ने कभी हार नहीं मानी और अपने गाँव से लगभग सात किलोमीटर दूर स्थित एक स्कूल में दाखिला लेकर 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी की।

गाँव में बिजली की नियमित सुविधा न होने के बावजूद प्रवीण के पढ़ाई के प्रति समर्पण ने उन्हें अपने गाँव के पहले मैट्रिक पास छात्र बना दिया। यह न केवल उनके लिए बल्कि पूरे गाँव के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी।

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शिक्षा और प्रारंभिक करियर

10वीं पास करने के बाद, प्रवीण और उनका परिवार बेहतर अवसरों की तलाश में दावणगेरे शहर चला गया। वहां, प्रवीण ने 12वीं और ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। इस दौरान, अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने और परिवार का समर्थन करने के लिए उन्होंने एक फार्मेसी स्टोर में पार्ट-टाइम नौकरी की। इस नौकरी में उन्हें केवल 600 रुपये प्रतिमाह मिलते थे।

ग्रेजुएशन के बाद, 2006 में प्रवीण ने पारले कंपनी में अपनी पहली नौकरी की शुरुआत की। उन्होंने इसके बाद कोका-कोला, विप्रो और ओयो जैसी प्रसिद्ध कंपनियों में सेल्समैन के रूप में काम किया। इन कंपनियों में 15 साल तक काम करने के दौरान, उन्होंने मार्केटिंग और बिक्री के क्षेत्र में महत्वपूर्ण अनुभव और ज्ञान हासिल किया। ओयो में काम करते हुए, वह इसके संस्थापक रितेश अग्रवाल की उद्यमशीलता की सोच से बहुत प्रभावित हुए और तभी उन्हें अपना खुद का स्टार्टअप शुरू करने का विचार आया।

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स्वदेशी ग्रुप की स्थापना

2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान, प्रवीण की नौकरी चली गई। इस मुश्किल समय ने उन्हें खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपनी पत्नी चिन्मयी के साथ मिलकर “स्वदेशी ग्रुप” नाम से एक सौर ऊर्जा उत्पाद कंपनी की स्थापना की। उन्होंने अपने बचाए हुए 1,800 रुपये से कंपनी का पंजीकरण कराया और अपने बिजनेस आइडिया को एक निर्माता के साथ साझा किया। उस निर्माता ने उनके विचार से प्रभावित होकर प्रवीण को 10 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी।

प्रवीण ने इस धनराशि का उपयोग शोरूम खोलने और सौर ऊर्जा से चलने वाले उत्पाद जैसे सोलर वॉटर हीटर, इनवर्टर, बैटरी, वाटर प्यूरीफायर, ऑटोमैटिक वाटर लेवल कंट्रोलर, एयर पंप आदि बेचने में किया। उनकी मेहनत और सही रणनीति के चलते “स्वदेशी ग्रुप” ने जल्द ही सफलता हासिल की और आज यह कंपनी 100 करोड़ रुपये से अधिक का व्यवसाय कर रही है।

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युवाओं के लिए प्रेरणा

प्रवीण की कहानी इस बात का जीता-जागता सबूत है कि अगर आप में दृढ़ संकल्प और मेहनत करने की लगन है, तो आप किसी भी कठिनाई का सामना कर सकते हैं। उनके संघर्षों और सफलता ने कई युवाओं को अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित किया है।

प्रवीण का मानना है कि:
– जब आप अपने लक्ष्य को हासिल कर लेंगे, तो आपके संघर्ष भी अच्छे लगने लगेंगे।
– कठिनाइयों और चुनौतियों के बीच में ही अवसर छिपा होता है।
– सफलता के लिए सुनिश्चित करें कि आपने अपने पैर सही स्थान पर रखे हैं और फिर दृढ़ता से वहां खड़े रहें।
– अवसर मिलते नहीं, उन्हें बनाना पड़ता है।
– आप जहां भी हों, अपने पास मौजूद चीजों से जो कर सकते हैं, वह करें।

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अवसरों की खोज और विकास

प्रवीण ने अपनी सफलता के सफर में कई महत्वपूर्ण सबक सीखे हैं। उनका मानना है कि हर चुनौती में एक अवसर छिपा होता है, और अगर आप सही दिशा में मेहनत करते हैं, तो आप किसी भी परिस्थिति में सफल हो सकते हैं। उनकी कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो कठिन परिस्थितियों से जूझ रहे हैं और अपने जीवन में कुछ बड़ा करने का सपना देख रहे हैं।

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प्रवीण का जीवन इस बात का प्रमाण है कि किसी भी छोटे से शुरुआत को बड़े स्तर पर ले जाया जा सकता है, बशर्ते कि आपके पास दृढ़ता, लगन, और सही दिशा में मेहनत करने का जज़्बा हो। आज “स्वदेशी ग्रुप” न केवल एक सफल व्यवसाय है बल्कि यह कई लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रहा है, और सौर ऊर्जा उत्पादों के क्षेत्र में अपनी पहचान बना रहा है।

प्रवीण के की कहानी हमें यह सिखाती है कि परिस्थितियाँ चाहे कैसी भी हों, अगर आपके पास जज़्बा और जुनून है, तो आप अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। उनकी यह प्रेरणादायक यात्रा निश्चित रूप से हमारे समाज के युवाओं के लिए एक उदाहरण है।

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