नींद
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Children’s story: गुग्गू गधा और उसकी नींद

एक गाँव में एक गधा था, जिसका नाम गुग्गू था। गुग्गू का स्वभाव तो शांत और काम करने वाला था, लेकिन उसकी एक बड़ी परेशानी थी – उसे सुबह उठने में बहुत दिक्कत होती थी। चाहे उसके मालिक कितनी भी कोशिश कर ले, उसकी नींद ही नहीं खुलती। इस वजह से गुग्गू को रोज़ अपने मालिक से डांट खानी पड़ती। मालिक तो गुस्से में उसे आलसी और निकम्मा कहने से भी पीछे नहीं हटता था।

एक दिन गुग्गू बहुत उदास होकर इधर-उधर घूम रहा था। तभी पड़ोस की गाय गौरी ने उसे देखा और पूछा, “गुग्गू, तू इतना उदास क्यों है?”

गुग्गू ने ठंडी सांस ली और बोला, “गौरी बहन, मेरी नींद ही नहीं खुलती। इस कारण रोज़ मालिक की डांट सुननी पड़ती है। क्या तुम मुझे सुबह उठा सकती हो?”

गौरी ने सोचा और बोली, “ठीक है, मैं कोशिश करुंगी।”

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अगले दिन गौरी ने जोर-जोर से रंभाना शुरू किया। उसने सोचा कि उसकी आवाज़ से तो पूरे गांव के लोग जाग जाते हैं, तो गुग्गू भी जरूर जाग जाएगा। लेकिन गुग्गू ने गौरी की रंभाने की आवाज़ को अनसुना कर दिया और वह गहरी नींद में सोता रहा। जब शाम को गुग्गू ने गौरी से मुलाकात की, तो वह बहुत निराश था।

नींद

रास्ते में उसकी मुलाकात मक्खी मीनू से हुई। मीनू ने देखा कि गुग्गू उदास है और उससे पूछा, “गुग्गू भाई, तुम इतने उदास क्यों हो?”

गुग्गू ने फिर वही बात बताई, “मुझे सुबह उठने में बहुत दिक्कत होती है। क्या तुम मुझे जगा सकती हो?”

मीनू हंसकर बोली, “मैं कोशिश कर सकती हूं।”

गुग्गू ने हंसते हुए कहा, “अरे मीनू, इतनी बड़ी गौरी मुझे नहीं जगा पाई, तो तुम छोटी सी मक्खी क्या कर लोगी?”

मीनू ने कुछ नहीं कहा और उड़कर चली गई।

कुछ देर बाद गुग्गू की मुलाकात मोती नाम के कुत्ते से हुई। गुग्गू ने मोती से कहा, “मोती भाई, मेरी नींद नहीं खुलती, क्या तुम मुझे सुबह जगा सकते हो?”

मोती ने गर्व से कहा, “हां, क्यों नहीं! मैं बहुत जोर से भौंकता हूं, तुम्हारी नींद जरूर खुल जाएगी।”

अगले दिन सुबह-सुबह मोती ने जोर-जोर से भौंकना शुरू किया, लेकिन गुग्गू की नींद फिर भी नहीं खुली। शाम को मोती और गुग्गू मिले, लेकिन मोती की भौंकने की कोशिश भी बेकार साबित हुई।

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गुग्गू अब और निराश हो गया। उसने सोचा, “मुझे कोई भी नहीं जगा सकता। अब तो रोज़ मालिक की डांट सुननी ही पड़ेगी।”

एक दिन उसकी मुलाकात चीनू मुर्गे से हुई। गुग्गू ने कहा, “चीनू भाई, तुम्हारी बांग से पूरा गाँव जागता है। क्या तुम मुझे भी सुबह उठा सकते हो?”

चीनू ने आत्मविश्वास से कहा, “बिल्कुल, मैं तुम्हें सुबह जगाऊंगा।”

नींद

अगले दिन चीनू ने जोर-जोर से कुकड़ू-कू की आवाज लगाई, लेकिन गुग्गू पर इसका भी कोई असर नहीं हुआ। चीनू थक कर चुप हो गया, और गुग्गू की नींद अब भी गहरी बनी रही।

शाम को गुग्गू की मुलाकात कालू कौवे से हुई। उसने कालू से भी वही गुहार लगाई, “कालू भाई, क्या तुम मुझे सुबह जगा सकते हो?”

कालू ने हामी भरी और अगले दिन सुबह कांव-कांव करने लगा। लेकिन गुग्गू की नींद पर इसका भी कोई असर नहीं हुआ।

अब गुग्गू हताश हो गया था। उसने सोचा, “अब मुझे कोई नहीं जगा सकता। मुझे रोज़ डांट ही सुननी पड़ेगी।”

लेकिन मक्खी मीनू चुपचाप उसे देख रही थी। अगले दिन, मीनू ने कुछ सोचा और सुबह-सुबह गुग्गू की नाक पर जाकर बैठ गई। गुग्गू की नाक में अचानक गुदगुदी हुई और वह छींकने लगा, “आ…आ…आक छी!” छींकते ही उसकी नींद खुल गई।

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गुग्गू आश्चर्यचकित होकर बोला, “अरे! मैं कैसे जाग गया?”

मक्खी मीनू ने हंसते हुए कहा, “मैंने तुम्हें जगाया!”

गुग्गू ने अविश्वास से पूछा, “तुमने? सच में?”

मीनू ने गर्व से कहा, “हां, मैंने। अब क्या तुम मुझे छोटा समझोगे?”

गुग्गू ने सिर हिलाते हुए कहा, “नहीं, नहीं! अब कभी नहीं। तुम तो सच में महान हो!”

गुग्गू अब रोज़ मक्खी मीनू की मदद से समय पर जागने लगा। उसकी परेशानी खत्म हो गई और उसे मालिक की डांट भी नहीं सुननी पड़ी। वह खुशी-खुशी नाचते हुए बोला, “धन्यवाद मीनू बहन! तुमने मेरी जिंदगी बदल दी।”

और इस तरह, गुग्गू को उसकी नींद से आजादी मिल गई। (Children’s story)

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