आत्महत्या करते समय सभी ने बंद कर दिया था मोबाइल
जांजगीर-चांपा: जांजगीर के बोंगापार निवासी कांग्रेस कार्यकर्ता ने शुक्रवार दोपहर पत्नी और दो जवान बेटों के साथ कीटनाशक पीकर आत्महत्या कर ली। घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। बताया जाता है कि यह परिवार लंबे समय से कर्ज में दबा हुआ था । आशंका जताई जा रही है कि इसी के चलते उन्होंने यह घातक कदम उठाया।
लगभग 11 बजे चारों ने कीटनाशक दवा का सेवन कर लिया
रविवार की शाम एक साथ चारों की अर्थी निकली तो पूरा मोहल्ला रो पड़ा । बहुत ही गमगीन माहौल में उनका अंतिम संस्कार किया गया। मिली जानकारी के अनुसार बोंगापार निवासी पंचराम यादव ( 66 वर्ष ) पिता कपिल प्रसाद यादव, उनकी पत्नी दिनेश नंदनी यादव (55 वर्ष ), दो जवान बेटे नीरज यादव (28 वर्ष) व सूरज यादव (25 वर्ष) ने 30 अगस्त को स्वयं को घर में बंद कर लिया और लगभग 11 बजे चारों ने कीटनाशक दवा का सेवन कर लिया।
यादव परिवार का कोई भी सदस्य जब 6- 7 घंटे तक किसी को नजर नहीं आया तो पड़ोसियों ने उनकी खोज खबर लेनी शुरू की लेकिन घर के सामने के दरवाजे पर ताला लगा होने के कारण किसी को संदेह नहीं हो पाया। बावजूद इसके उन्होंने जब मोबाइल पर कई बार कॉल किया तो सभी का मोबाइल बंद बताता रहा, तब लोगों को किसी अनहोनी का अंदेशा हुआ।
इस पर दरवाजा तोड़कर भीतर पहुंचे तो चारों बेसुध पड़े थे व घर में कीटनाशक दवा की गंध फैली हुई थी । आनन-फानन में चारों को रात में ही जिला चिकित्सालय ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उनकी गंभीर हालत को देखते हुए बिलासपुर रेफर कर दिया। वहां शाम 4 बजे नीरज यादव ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। वहीं अन्य तीनों वेंटिलेटर पर थे। इसके बाद एक-एक कर तीनों की जिंदगी ने साथ छोड़ दिया।
था सिर पर बड़ा कर्ज
बता दें कि पंचराम यादव जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व सदस्य थे । वे ठेकेदारी का काम करते थे, जिसमें एक बेटा भी हाथ बंटाता था। वहीं दूसरा बेटा प्राइवेट जॉब करता था। पत्नी कैंसर पीड़ित थी। पंचराम पर बैंक का बड़ा कर्ज था जिससे पूरा परिवार परेशान रहता था।
फोरेंसिक टीम ने घर को किया सील
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस ने मौके पर पहुंचकर बोंगापार स्थित घर को सील कर दिया। रविवार को दोपहर में पुलिस के आला अधिकारियों के साथ ही फोरेंसिक टीम पहुंची और घटनास्थल की से सबूत जुटाए ।
जीवन ख़त्म कर देना दुखद
जहर सेवन करके सामूहिक रूप से जीवन ख़त्म कर देना बहुत दुखद है। पूरे घटनाक्रम को समझना होगा लेकिन एक बात कह सकते हैं कि इस कदम के पीछे कोई घोर निराशा रही होगी जिसके कारण परिवार ने उम्मीदें छोड़कर यह कदम उठाया। इस तरह जीवन ख़त्म कर लेना किसी परेशानी का हल नहीं है। -प्रो. प्रोमिला सिंह, मनोविज्ञानी एवं पूर्व विभागाध्यक्ष रविवि