भगवान
0 1 min 4 mths

अगर आप भगवान भोलेनाथ के भक्त हैं और पूरी भक्ति से उनकी आराधना करते हैं तो आपको ये बात तो जरूर पता होगी कि भगवान शिव को सावन का महीना सबसे ज्यादा प्रिय होता है. कहते हैं जो भी भक्त सच्चे मन से सावन में शिव की उपासना करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि भगवान शिव को 12 महीनों में से सिर्फ सावन का महीना ही क्यों पसंद आता है. आखिर शिव और सावन का कनेक्शन क्या है. आइए आज आपको इसी बारे में हम बताते हैं.

भगवान

क्यों है भगवान शिव को सावन प्रिय

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, माता सती ने ये प्रण लिया था कि जब भी उनका जन्म हो तो उन्हें भगवान शिव ही पति के स्वरूप में मिलें. इसके लिए उन्होंने अपने पिता राजा दक्ष के घर अपने शरीर को त्याग दिया था और हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया. कहा जाता है कि माता पार्वती ने सावन के महीने में भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की, जिसके चलते ही आगे जाकर उनका विवाह भगवान शिव के साथ हुआ. ऐसे में भगवान शिव को सावन का महीना बहुत पसंद होता है.

ये भी पढ़े : surprising : पूरी दुनिया के लिए एक सवाल : जापानियों की लंबी आयु और दीर्घायु का रहस्य क्या है? वे 10 से 15 किमी की यात्रा के लिए चलाते हैं साइकिल

जब रुद्र अवतार में आते है भगवान भोलेनाथ

एक अन्य मान्यता के अनुसार, देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु सोते हैं और चतुर्दशी के दिन भगवान शिव भी सो जाते हैं और जब भगवान शिव सोते हैं तो उस दिन को शयनोत्सव कहा जाता है. इस दौरान भोलेनाथ अपने रुद्रावतार में होते है. माना जाता है कि भगवान शिव जब अपने रूद्र अवतार में होते हैं, तो बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन इस अवतार में वो रुष्ट भी जल्दी होते हैं. ऐसे में भगवान शिव का सावन के महीने में रुद्राभिषेक किया जाता है, ताकि इस पूजा से वो प्रसन्न हों और सभी को अपना आशीर्वाद दें.

भगवान

अपने ससुराल गए थे भगवान शिव

इतना ही नहीं कहा जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले विष को पिया था और पहली बार भगवान शिव पृथ्वी लोक पर अपने ससुराल सावन के महीने में ही आए थे, जहां उनका जोरदार स्वागत हुआ था. ऐसे में कहा जाता है कि सावन के महीने में हर साल भगवान शिव पृथ्वी पर आते हैं और सभी को अपना आशीष देते हैं. कहा जाता है कि इस माह में मर कंडू ऋषि के पुत्र मार्कण्डेय ने कठोर तपस्या कर शिव जी से आशीर्वाद प्राप्त किया था.

ये भी पढ़े : (बच्चों की कहानी) मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ

सावन का पूरा महीना भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है। सावन माह में हर सोमवार को श्रद्धालु व्रत रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि व्रत रखने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। लेकिन सावन माह में हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। सावन मास भगवान शिव की पूजा उपासना एवं उपवास के लिए है।

श्रावण में सोमवार का दिन शिव की पूजा का दिन है

शिव को श्रावण मास सर्वाधिक प्रिय है। सती ने दक्ष प्रजापति के यज्ञ में अपना शरीर होम करने के बाद जब उन्होंने हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया तब उन्होंने श्रावण मास में भगवान शिव की विधिवत पूजा उपासना की थी। इसके कारण उन्होंने  शिव को पुनः पति के रूप में प्राप्त किया। इसी कारण  शिव को यह मास बहुत प्रिय है। श्रावण में सोमवार का दिन तो  शिव की पूजा का ही दिन है। श्रावण मास के प्रथम सोमवार से सोलह सोमवार तक व्रत करने पर मनोकामना की पूर्ति होती है। कार्तिक मास की अमावस्या तक रोटक नामक व्रत किया जाता है.

भगवान

श्रावण मास के प्रथम सोमवार से शुरू करते हुए कार्तिक मास की अमावस्या तक रोटक नामक व्रत किया जाता है। यह व्रत अर्थ सिद्धि प्रदाता है। यही कारण है कि सभी शिवभक्त श्रावण के सोमवार को व्रत रखते हैं एवं पूजा उपासना करते हैं। श्रावण के प्रथम सोमवार को प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर यह संकल्प लेना चाहिए कि मैं शिव कृपा प्राप्ति के उद्देश्य से श्रावण के सोमवार का व्रत करने का संकल्प लेता-लेती हूं। हे महादेव ! मेरे इस संकल्प को पूर्ण करें। इसके उपरांत शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग का दूध व जल से विधिवत पूजन करें।

ये भी पढ़े : Good habits: अच्छी आदतें आपको ‘मजबूत’ बनाती हैं, ‘मजबूर’ नहीं; जानिए अच्छी आदतों के लिए 4 जरूरी बातें

कहने का तात्पर्य ये है कि व्यक्ति शिव की पूजा करें, विधि और नियम से करें और उससे भी बढ़कर अपने मन के भावों को पूर्णतः समर्पित करके करें। बिना भाव के बिना प्रेम के की गई पूजा का उतना फल नहीं मिलता। धर्म सिंधु के अनुसार शिवलिंग की प्रतिष्ठा के लिए श्रावण मास श्रेष्ठ है।

भगवान

शिव पूजा से संबंधि कुछ विशिष्ट जानकारी

* मनुष्य को सदैव उत्तर की ओर मुंह करके शिव की पूजा करनी चाहिए।
* जो मनुष्य बेलपत्र से शिव पूजन करता है। उसकी दरिद्रता दूर हो जाती है।
* पार्थिव लिंग की पूजा करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
* भविष्य पुराण के अनुसार जो मनुष्य एक बार ही धतूरे के फल से शिवलिंग की पूजा करते है। वह गोदान का फल प्राप्त कर शिवलोक में जाते हैं।
* चांदी से निर्मित शिवलिंग की पूजन कीर्ति प्रदान करता है।
* कांसे और पीतल की शिवलिंग की पूजा से सुखों में वृद्धि होती है।
* शीशे के निर्मित शिवलिंग शत्रु के नाश में सहायता करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ग्रोमो ऐप नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियां गरुड़ पुराण Tiger deaths जन्मदिन अस्पताल हत्या के बाद शव