प्रदूषण
0 1 min 7 mths

वायु प्रदूषण: कई नई बीमारियों और अन्य समस्याओं का कारण

हमने स्कूल में प्रदूषण और उसके प्रकारों के बारे में सीखा है। तदनुसार हम प्रदूषण के तीन प्रमुख प्रकार जानते हैं। जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और वायु प्रदूषण। इसमें हम जल एवं भूमि के प्रदूषण को देख सकते हैं। लेकिन, वायु प्रदूषण आसानी से नजर नहीं आता. इसलिए हम वायु प्रदूषण को गंभीरता से नहीं लेते। लेकिन, वायु प्रदूषण हमारे देश के सामने एक बड़ी समस्या है और इसे हल करना हमारे हाथ में है। वायु प्रदूषण जहां कई नई बीमारियों और अन्य समस्याओं का कारण बन रहा है, वहीं इसका असर उम्र बढ़ने पर भी पड़ रहा है।

प्रदूषण

वायु प्रदूषण में भारत दूसरे स्थान पर है

हमारा देश दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में दूसरे स्थान पर है। अगर हम बच्चे ठान लें और अपने आसपास के वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखें तो यह तस्वीर निश्चित रूप से बदल सकती है। 2019 के आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 शहर भारत में थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर भारत में प्रदूषण का स्तर दुनिया के किसी भी शहर से दस गुना ज्यादा खतरनाक है. इसके लिए कई कारण हैं। इसके अलावा वायु प्रदूषण के प्रभाव से हर साल 2 लाख भारतीयों की असामयिक मृत्यु हो जाती है।

ये भी पढ़े: Business Opportunities: मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने के लिए केले का प्रसंस्करण करें; 5 प्रमुख विनिर्माण प्रक्रियाओं को जानें

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु प्रदूषण भारत में एक औसत व्यक्ति की जीवन प्रत्याशा को पांच साल और दो महीने कम कर रहा है। अगर हम इन आंकड़ों को बदलना चाहते हैं तो हमें वायु प्रदूषण के प्रति भी जागरूक होना होगा।

हाल ही में ‘द एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट’ द्वारा जारी एयर क्वालिटी इंडेक्स रिपोर्ट के मुताबिक, अगर दिल्ली में लोगों की औसत जीवन प्रत्याशा को 10 साल तक बढ़ाना है, तो विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिशों को तत्काल लागू करना होगा। इसके मुताबिक, भारतीय शहरों में पीएम 2.5 कणों (प्रदूषण फैलाने वाले महीन कण) का वार्षिक वायु प्रदूषण दुनिया के किसी भी अन्य शहर की तुलना में अधिक है।

‘पर्यावरण विज्ञान और प्रौद्योगिकी’ पत्रिका में प्रकाशित एक हालिया रिपोर्ट इन देशों में पीएम 2.5 की उच्च सांद्रता के मुख्य चालक के रूप में प्राथमिक कार्बनिक-विविध स्रोतों से वायुमंडल में सीधे उत्सर्जित कार्बन कणों की पहचान करती है। आमतौर पर 2.5 माइक्रोमीटर या उससे छोटे व्यास वाले, अध्ययन में पाया गया कि परिवेशी पीएम 2.5 के कारण 2019 में दक्षिण एशिया में 1 मिलियन से अधिक मौतें हुईं, मुख्य रूप से घरों, उद्योग और बिजली उत्पादन में ईंधन जलाने से। अध्ययन में पाया गया कि पीएम 2.5 से संबंधित मौतों में सबसे बड़ी हिस्सेदारी ठोस जैव ईंधन की है, इसके बाद कोयला, तेल और गैस का नंबर आता है।

प्रदूषण

7 सितंबर: ‘क्लीन एअर डे फॉर ब्ल्यू स्काइज’

संयुक्त राष्ट्र की ओर से हर साल 7 सितंबर का दिन ‘क्लीन एअर डे फॉर ब्ल्यू स्काइज’ के रूप में मनाया जाता है। शुद्ध वायु लगभग 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन और 1 प्रतिशत अन्य गैसों का मिश्रण है।

ये भी पढ़े: कृषि अनुसंधान में व्यापक बदलाव की जरुरत

क्या आप जानते हैं वायु प्रदूषण क्या है?

रासायनिक रूप से जहरीली हवा या दुर्गंधयुक्त हवा को मोटे तौर पर वायु प्रदूषण कहा जाता है। लेकिन असल में जो सूक्ष्म कण नंगी आंखों से नहीं देखे जा सकते, उन्हें अंग्रेजी में ‘पार्टिकुलेट मैटर’ या पीएम कहा जाता है। वायु प्रदूषण पीएम 2.5, पीएम 10 जैसे अति सूक्ष्म कणों के कारण होता है।

आप कल्पना कर सकते हैं कि ये कण कितने छोटे हैं, जिनका व्यास हमारे बालों के तीसवें हिस्से जितना छोटा है। इसके अलावा कार्बन, मीथेन, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड जैसी गैसें भी वायु प्रदूषण को बढ़ाती हैं।

जानिए वायु प्रदूषण के कारण

ईंट भट्टे, बढ़ते पेट्रोलियम वाहन, कारखाने, कृषि अपशिष्ट जलाना और कई अन्य छोटे कारक वायु प्रदूषण में वृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं। वायु प्रदूषण के लिए लगभग 51% औद्योगिक, 27% वाहन, 17% जलती हुई वनस्पति और 5% अन्य क्षेत्र जिम्मेदार हैं।

प्रदूषण

वायु प्रदूषण को कैसे रोकें?

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर आम आदमी आगे आए तो हम वायु प्रदूषण के बिना ही ध्वनि, मिट्टी, प्रकाश, जल और अग्नि प्रदूषण से छुटकारा पा सकते हैं। यदि संभव हो तो सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने की आदत डालना आवश्यक है। मुंबई में दिल्ली की तुलना में कम वायु प्रदूषण होने का एक कारण सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग है। BEST जैसी बसें मुंबई में व्यापक रूप से उपयोग की जाती हैं। दिल्ली में ई-बस जैसी नई तकनीक के कुछ अच्छे परिणाम सामने आएंगे।

विशेषकर निजी वाहनों के अत्यधिक उपयोग से वातावरण में कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। ई-वाहनों के उपयोग से न केवल वायु प्रदूषण से छुटकारा मिलेगा, बल्कि पेट्रोलियम उत्पादों के आयात की लागत भी बचेगी। ऐसी जीवनशैली अपनाने की जरूरत है जिससे पर्यावरण की रक्षा के लिए पेड़-पौधे लगाकर ऑक्सीजन की कमी को दूर किया जा सके आवश्यकतानुसार उद्यानों का निर्माण कर लकड़ी का भी उत्पादन किया जायेगा।

वैज्ञानिकों के अनुसार, बिजली की खपत को कम करके ऊर्जा का बेहतर संरक्षण किया जा सकता है और बिजली के बल्बों और अन्य उत्पादों से उत्पन्न होने वाली गर्मी से भी बचा जा सकता है। सौर ऊर्जा का उपयोग करके हम वायु प्रदूषण की समस्या को काफी हद तक कम कर सकते हैं। घरों में सोलर पैनल लगाना बिजली का एक अच्छा विकल्प है। वायु प्रदूषण को कम करने में हमारी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।

वायु प्रदूषण को रोकने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदु

• गैर-पारंपरिक ऊर्जा का उपयोग।
• इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाना।
• सभी को एलपीजी के रूप में सुरक्षित ईंधन का उपयोग करना चाहिए।
• निर्माण स्थल पर धूल रोधी झिल्ली का उपयोग
• धूल भरी जगहों पर पानी का छिड़काव करना
• निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें।
• शहर की पहाड़ियों, बगीचों और पेड़ों की रक्षा करना।

–मच्छिंद्र ऐनापुरे, जत जिला सांगली

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

वास्तु यंत्र: जमीन विवाद हो या धन पुलिसकर्मी की सनसनीखेज हरकत, पत्नी की हत्या कनाडा छात्रा हरियाणा के पंचकूला में रेस्टोरेंट में डंपर लूटेरी दुल्हन गिरफ्तार